अध्यात्मिक यात्रा का अर्थ क्या है? इसे कैसे शुरू करे

How To Start Spiritual Journey In Hindi क्या आपने कभी एक पल के लिए भी यह सोचा है कि आप कौन है? आपका जन्म क्यों हुआ है,  आपके जीवन का उद्देश्य क्या है ? ऐसे प्रश्न जब  किसी व्यक्ति के विचार में आने लगते है तो इसका अर्थ है अब आपकी आध्यात्मिकता की पथ चलने की यात्रा शुरू होने वाली है। 

अध्यात्मिक यात्रा का अर्थ क्या है? इसे कैसे शुरू करे


आध्यात्मिक यात्रा पर जाने का क्या अर्थ है?- What Is The Spiritual Journey In Hndi

आध्यात्मिक यात्रा का अर्थ है अपने अंदर के अहंकार कर, अपनी आत्मा का अध्ययन करना।  क्या  आपको पता है कि हमारा अहंकार(ego) हमें कभी ईश्वर से नहीं जोड़ सकता है।  इसे दूर करने के लिए आध्यात्मिक प्रयास करने होते है जैसे -प्रार्थना, सेवा, आभार प्रकट करना, आंतरिक आवाज  सुनना  आदि । 

पहले आपको यह बता दे की सभी आत्माये(souls) आध्यत्मिक होती है बस उन्हें ज्ञात नहीं होता है और जब उनमे से किसी को यह ज्ञात होना शुरू हो जाती है जिसे हम आध्यात्मिक जाग्रति(spiritual awakening) कहते है तो फिर वह इस आध्यात्मिक पथ(spiritual journey) पर चलना आरम्भ कर देते है ?


सिर्फ आध्यात्मिक प्रयास(Spiritual practice) के सहारे ही आप कोई भी दुःख या संकट का सामना कर सकते है।  आध्यात्मिक प्रैक्टिस  मतलब ही है ईश्वर को  अनुभव करना।   

आध्यात्मिक यात्रा पर क्या होता है?

आध्यात्मिक मार्ग(spiritual path) का मतलब  स्वयं को जानना और आपके मन में आने वाले प्रश्नो के उत्तरो की खोज करना।  इस दौरान आपके इतने प्रश्न के उत्तर प्राप्त हो जाते है जिनके उत्तर एक सामान्य व्यक्ति द्वारा जानना मुश्किल लगता है।  

जब आपको इन उत्तरो के निष्कर्ष पर पहुचंते है तो आपको कुछ सत्य का पता चलता है जो किसी धर्म से परे होता है  जी है - आध्यात्मिकता किसी धर्म से अलग है। 

हम ईश्वर से ख़ुशी(happiness) मांगते है इसके लिए मेहनत करते है हर जीव इसी में लगा है।  वही बहुत से ऐसे लोग है जो यह जानते है की ख़ुशी क्षणभंगुर है कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितनी भी कीमती या महान हो।  एक आनंद ही है जो शाश्वत है। 

आध्यात्मिक यात्रा कैसे शुरू करें? - How To Start Your Spiritual Path  Journey In Hindi

आप अभी जहां है वही से  शुरुवात करना है, कही और से शुरू करने की कोशिश नहीं करना है क्योंकि आप ब्रह्मांड(ईश्वर) के अंश हैं और यह तब से ही शुरू है।   दुनिया में आकर आपकी आध्यत्मिकता बदल गयी है और गलत दिशा में चली गयी है आपको इसे सही दिशा में लाना है और पहले से तेज करना है। इसमें कोई पूजा-पाठ नहीं करना होता होता है क्योंकि यह धर्म से परे है। रीती-रिवाज आपको अपने धर्म से जोड़ते है और कुछ हद तक आध्यत्मिकता में मदद करते है लेकिन यह आपकी आत्मा की यात्रा है न की धर्म की। 

फिर क्या करना है ?

व्यक्ति में विकास करने की लालसा हमेशा से ही है चाहे वह रुपया, पैसा, सोहरत हो।  ये सभी वाह्य विकास है इनसे सिर्फ थोड़ी ख़ुशी मिल सकती है। यह अनजाने में की हुई गलत आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमे आपको लगता है शांति मिलेगी। लेकिन अब आन्तरिक विकास करना है जो आपकी आत्मा को वास्तव में चाहिए।  यहां आप ईश्वर का असली अर्थ जान पाते है।

आत्म जागरूकता की यात्रा - journey of self aware

यहां दिमागी जागरूकता की बात नहीं हो रही क्योंकि दिमागी जागरूकता आपकी  रोजमर्रा की जिंदगी को सरल और आपको काबिल बनाता है।  लेकिन यहां आत्म जागरूकता की बात हो रही है जो आपके जीवन जीने का नजरिया बदल देती है वास्तव में आप जान पाते हैं कि कई ऐसी चीज हैं जो जीवन जीने के लिए आवश्यक नहीं है लेकिन फिर भी आप उनका उपयोग करते हैं बिना यह जाने की आप क्यों कर रहे हैं । 

आपको सचेतन मन(conscious mind)के साथ रहना है जिससे आप जान पाए कि आप वर्तमान में क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं । दरअसल अवचेतन मन(subconscious mind) बिना जागरूक और बिना वर्तमान में रहे कार्य करता है क्योंकि वह उसकी आदत बन जाती है इसके लिए आपको अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन आत्मजागरूकता में वर्तमान में रहने की जरूरत होती है उदाहरण के लिए आपको अपने घर का रास्ता पता है इसके लिए आपको अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है आप फोन पर बात करते हुए भी अपने घर तक पहुंच जाते हैं यह अवचेतन मन का कार्य है लेकिन इसमें जागरूकता नहीं है। वही जब आप किसी दूसरे रास्ते का सहारा लेते हैं जहां आप पहले नहीं गए हैं तो वहां पर आप पूरी तरह से वर्तमान में होते हैं। 

आध्यात्मिक यात्रा अवेयरनेस के साथ ही शुरू होती हैे और यही आपको आगे लेकर जाती है जहां आप इसके संबंध में अन्य प्रकार की जानकारियां प्राप्त करते हैं इसके लिए आपको किसी और की जरूरत नहीं है आप स्वयं ही ऐसी चीजों को आकर्षित करेंगे जो आपकी इसमें सहायता करेंगी। 

क्या आपने महसूस किया पूरे दिन के अलग-अलग टाइम पर आपकी जागरूकता अलग होती है।  इसे और बढ़ाये और अनजाने में नहीं बल्कि पता हो कि आप जागरूक है। 

जैसे की गाड़ी चलाने के दौरान सावधान रहना चाहिए यह इसकी प्रक्रिया है लेकिन कुछ को छोड़ के सभी सावधान नहीं है वैसे ही सभी आध्यत्मिक रूप से सचेत नहीं है।  आपको यह मसहूस है तो आपको इसे बढ़ाना है।  यही आध्यात्मिक यात्रा अर्थात आंतरिक विकास की शुरुवात करना।  

फिर धीरे-धीरे आप एक ऐसे मुकाम पर आ जायेंगे जहां आपको लगेगा की यह जीवन के लिए आवश्यक नहीं तो वह अवश्य ही भौतिकता से अलग आयाम का होगा। जितनी आपकी जागरूकता बढ़ेगी आपकी स्थिरिता और वाइब्रेशन हाई होगी है।  एक हाई वाइब्रेशन किसी भी चीज़ से निपटने की ताकत रखता है और स्थिरिता आपको उलझने से बचाती है।  इसलिए प्रैक्टिस करते रहिये और एक  समय बाद इस यात्रा  आनंद लीजिये।   

क्योंकि आध्यात्मिक यात्रा जागरूकता और आंतरिक विकास(internal development) की यात्रा है तो आपके चीज़ो को देखने का नजरिया बदल जायेगा आप सिक्के के दूसरे पहलु जो सामने से नहीं दिखता है लेकिन है - जैसे की आपकी आत्मा है शरीर के अंदर। 

आपके धर्म से जुड़े कुछ चीज़ो का प्रयोग अपनी इस यात्रा के योगदान में कर सकते है ये आपको वर्तमान में रहने और आंतरिक विकास में सहायता देने में मदद करती है और यह पूरी तरह आपकी मर्जी पर निर्भर करती है। यदि कोई व्यक्ति ऐसे परिवार में रहता है जहा शास्त्रों पर चर्चा होती है या पुस्तके मिल सकती वह उन्हें अपनी यात्रा में शामिल कर सकते है। कोई गुरु या टीचर  ले सकते है,  यदि किसी के यहाँ बागानी का कार्य है तो वहां समय बिता सकता है या कुछ देर कार्य कर सकते है आदि इसी प्रकार।  लेकिन ये सब आवश्यक नहीं है क्योंकि असली कार्य स्वयं से जुड़ना है।

माइंडफूलनेस की प्रैक्टिस

जैसा कि बताया कि आत्म जागरूकता के लिए आपको वर्तमान में रहने की जरूरत होतीहै जिससे जीवनके विभिन्न अपना ध्यान आकर्षित कर पाए इसके लिए आप माइंडफूलनेस की प्रैक्टिस कर सकते हैं यह उनके लिए जिनका ध्यान बार-बार भविष्य की ओर या अन्य समस्याओं पर जाता है माइंडफूलनेस के जरिए वह अपना ध्यान और मां को वर्तमान में रहने का प्रयास कर सकते हैं।

जर्नलिजिंग करे 

अपने दिमाग में चल रही चीज़ो को डायरी में लिख सकते है। इससे आपके दिमाग का शोर शांत होगा और जान पाएंगे क्या अव्यवस्थित है। इसके बाद अपनी दिल से पूछे वास्तव क्या चाहिए।  यह जरुरी नहीं कि एक बार में ही पता चले।  बस अपनी आंतरिक भावनाओ के साथ रिश्ता बनाये फिर देखे वह धीरे-धीरे सभी उत्तर देगी।  

प्रकृति के साथ समय बिताये 

प्रकृति से अच्छा कोई गुरु नहीं है।  स्पिरिचुअल लोगो को नेचर के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है और आपको भी अच्छा लगने लगेगा।  शांत मन से जब आप प्रकृति से कोई प्रश्न पूछते है तो  वह आपको उनके उत्तर जरूर देती है, चाहे किसी भी रूप में। जितना अधिक इससे कनेक्ट होंगे, आपके सभी चिंता, संशय क्लियर होती जाएगी। क्योंकि कई बार ऐसे प्रश्न या भावनाये होती जिन्हे हम किसी से कह नहीं पाते।  तो, बस ब्रह्माण्ड को अपना मित्र बनाये और फिर कमल देखे।